“तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ;
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ.
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ …”
“नज़र में शोखि़याँ लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है
कई जीतें हैं दिल के देश पर मालूम है मुझको
सिकंदर हूँ मुझे इक रोज़ ख़ाली हाथ जाना है …
–(डा० कुमार विश्वास)
Dr. Kumar Vishwas