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वर्तमान समय और लोकनायक जे.पी. की प्रासंगिकता


वर्तमान समय में जेपी की प्रासंगिकता

45 वर्ष हुए जब सही मायने में एक सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान हुआ जिससे सम्पूर्ण राष्ट्र, विशेषरूप से बिहार, के राजनीति का अद्भुत मंथन हुआ। बलवान चरित्र और गाँधीवादी शस्त्रों में निपुण लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी ने जब बिहार में सुगबुगा रहे छात्र राजनीति को अपना प्रखर नेतृत्व दिया तो यह सुगबुगाहट सम्पूर्ण राष्ट्र में क्रांति का मशाल ले कर फैली और दिल्ली में स्थापित सरकार, जिसने जनतंत्र को विस्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, को जड़ से हिल दिया। जेपी के लोकनेतृत्व के लहर में देश फिर से 1942 के जन-आंदोलन जैसा महसूस करने लगा था और उनके कहने पर छात्रों ने कालेज और युवाओं ने अपने नौकरी छोड़ दिए थे।

इस लोक-मंथन ने खास तौर पर बिहार राज्य में कई समाजवादी और जनवादी नेताओं को जन्म दिया और संवारा। हालांकि बहुत नेता परदे के पीछे काम करते रहे और बाद में गुमनामी में रहे किन्तु पिछले 50 वर्षों के राजनैतिक मैदान में जो योद्धा दिखे और ऊपर उठे वो जेपी आंदोलन के ही उपज हैं, चाहे वो पिछले 30 वर्षों से सत्ता संभाले लालू और नीतीश हों,  या सुशील मोदी, राम विलास पासवान, रवि शंकर प्रसाद, या राम जतन सिंहा।

आज ये सभी बड़े नाम-धारी समय के रथ पर सवार होकर काफी दूर आ चुके हैं। सभी रिटायर होने के करीब हैं या होने लगे हैं। पासवान जी अभी कुछ दिन पहले ही दिवंगत हो गए। ऊपर से इन नेताओं ने दो महत्वपूर्ण गलतियाँ की। पहला की ये नेता जेपी के सिद्धांतों से समय के साथ दूर होते चले गए, और कइयों ने अपने परिवार को ही आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। बाकी समय तो ये धुरंधर नेता एक दूसरे के ही पर कुतरने में लगे रहते हैं। कभी स्वर्गीय पासवान जी की जिद ने सरकार बनने में बाधा डाल दिया, तो नीतीश जी सरकार बचाने के लिए भाजपा, राजद और काँग्रेस सब को आजमाते रहे हैं। लालू जी खुद जेल में हैं, लेकिन अपने परिवार को ही सत्ता का केंद्र बनाए रखने के लिए कभी पत्नी, कभी सालों और अब पुत्रों को आगे कर रहे हैं। सुशील मोदी जी नीतीश जी के छत्र छाया से बाहर ही नहीं आना चाहते हैं। भाजपा में और कोई नेता तो इतना बड़ा नहीं दिखता। शाहनवाज़ हुसैन और राजीव प्रताप रुडी राष्ट्रीय स्तर पर थोड़ा नाम रखते थे पर इनकी उम्र भी किसी से छिपी नहीं है। काँग्रेस में तो कोई दमदार नाम तक नहीं, आंतरिक कलह और घमासान से ही किसी को फुरसत नहीं वहाँ। जेपी ने तो देश के सर्वोच्च पदों को भी विनम्रता से ठुकरा दिया था और यहाँ हर छोटे पद के लिए  लोग क्या से क्या कर रहे हैं।

दूसरा और महत्वपूर्ण कि इन लोगों ने भविष्य के लिए प्रभावी नेता तैयार नहीं किए। इसलिए अब स्थिति यह है कि बिहार जैसे राज्य में कोई शक्तिशाली युवा चेहरा ही नहीं है। बिहार के कॉलेजों के छात्र नेताओं को ना तो कोई जानता है, ना ही कॉलेजों में ही उनका कोई वजूद नजर आता है। जो इक्के-दुक्के नाम सुनने को मिलते हैं वो इन नेताओं के परिवार से हैं। ले दे कर चिराग पासवान, तेजस्वी और तेज प्रताप के नाम मालूम हैं लोगों को। कन्हैया कुमार का नाम उछलता है कभी कभार पर वो सोशल मीडिया वाले नेता हैं। यही हाल एक दो नए नामों का भी है जो चुनावी मौसम में ट्विटर पर दिखाई दे रहे हैं।  प्रशांत किशोर का नाम काफी ऊपर आया किन्तु वो बाकी राज्यों के सरकार बनवाने में व्यस्त दिख रहे हैं। उन्होंने ‘बात बिहार की’ और बिहारी युवाओं को प्रशिक्षित करने का ऐलान किया है किन्तु इसका असर शायद अगले चुनावों के समय ही दिखे। बाकी कोई भी नेता भविष्य के लिए किसी को ‘मेन्टर’ करते तो नहीं दिख रहे। राजनीति में ऐसा होना अच्छा नहीं।  

ये कैसा नेतृत्व है जो आने वाले 10, 20 और 30 वर्षों के परिवेश के लिए लोगों और नेताओं को तैयार ही नहीं करना चाहता। शायद यही वजह है की ‘लोकनायक’ जैसा फिर कोई  दोबारा नहीं हुआ! जेपी ने उस उम्र में, अस्वस्थता के बीच, अपने शर्तों पर छात्रों का नेतृत्व किया, उन्हे मार्गदर्शन दिया और आने वाले 45-50 वर्षों के लिए राजनैतिक योद्धा तैयार किया। अगर जेपी नहीं होते तो छात्र आंदोलन असमय ही खत्म कर दिया जाता। ये जेपी का ही प्रताप था कि बिहार से शुरू हुए उस आंदोलन में पूरे देश के आम जन जुड़े और उनकी सम्पूर्ण क्रांति ने दिल्ली में इंदिरा सरकार का तख्त हिला दिया। और ये सब बिना किसी पद या गरिमा के लालच में किया उन्होंने। बहुत लोगों को मालूम ना हो लेकिन उन्हे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे पदों की भी कोई लालसा नहीं थी।

जेपी जैसे नेता हर युग में सदा प्रासंगिक रहेंगे। आज फिर से समाज और राजनीति को मंथन की जरूरत है ताकि आने वाले समय में जनतंत्र में विकल्पों का शून्य ना रहे। शायद फिर से एक और जेपी की जरूरत और तलाश है।

डा. पीयूष कुमार

Twitter: @piyushKAVIRAJ

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Further reading:

https://bangaloremirror.indiatimes.com/opinion/views/the-idea-of-total-revolution/articleshow/49422574.cms

https://www.thequint.com/explainers/caa-protests-jp-movement-how-students-changed-protests-in-the-70s-jayaprakash-narayanan

https://indianexpress.com/article/explained/jayaprakash-narayan-emergency-congress-jp-movement-emergency-in-india-indira-gandhi-sampoorna-kranti-4884241/

https://www.dailypioneer.com/2015/india/jps-sampoorn-kranti-revisited.html

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